मोहन सिंह आलूवालिया ने कहा कि 68.7% दूध व दूध से बने उत्पाद फ़ूड सेफ्टी व स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (एफएसएसएआई) के मापदंडों के अनुसार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य मिलावट डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, ग्लूकोज़, सफेद पेण्ट एवं रिफाइंड आयल द्वारा की जाती है। आलूवालिया ने आगे कहा कि देश में दूध व दूध से बने उत्पादों में मिलावट इतनी है कि 68.71% दूध व इससे बने उत्पाद एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मापदंडों के तहत नहीं बेचे जाते।
31 मार्च 2018 तक भारत में दैनिक दूध उत्पादन 14.68 करोड़ लीटर पंजीकृत है। उत्तर प्रदेश के राज्यों में दक्षिण राज्यों की अपेक्षा दूध में अधिक मिलावट दर्ज की जाती है। आलूवालिया ने आगे कहा कि कुछ वर्ष पूर्व में दूध में मिलावट पर हुए राष्ट्रीय सर्वे में यह पाया गया कि साफ़-सफाई व स्वच्छता कि कमी व दूध की संभाल, पैकेजिंग के लिए धोने वाले टबों में, दूध व दूध उत्पादों में डिटर्जेंट पाउडर मिलाया जाता है।
यद्यपि दूध में डिटर्जेंट पाउडर व दूसरे दूषणकारी तत्व जैसे यूरिया, स्टार्च, ग्लूकोज़ व फोर्मलिन इसलिए मिलाया जाता है, चूंकि यह दूध को गाढ़ा बनाते हैं और दूध को लम्बे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं। हाल ही में भारत सरकार को जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन की परामर्शी के अनुसार यदि दूध व दूध से बने उत्पादों में मिलावट को जल्द नहीं रोका जाता तो 2025 तक 87% नागरिक बहुत गंभीर बीमारियों जिसे कैंसर से ग्रस्त हो जाएंगे।
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