एनएए ने मैगी नूडल्स वितरकों को पाया मुनाफाखोरी का दोषी
एनएए ने मैगी नूडल्स वितरकों को पाया मुनाफाखोरी का दोषी

गुड्स एवं सर्विसेज (जीएसटी) के तहत् नेशनल एंटी प्रोफिटरिंग अथॉरिटी ने उत्तरप्रदेश स्थित मैगी नूडल्स के एक वितरक को मुनाफाखोरी में शामिल होने के आरोप में पकड़ा है। 

एंटी प्रोफिटरिंग के सतर्कता अधिकारी ने डीलर को 18% की उपभोक्ता कल्याण निधि में 90,778 रूपये जमा करने के साथ 2253 रूपये शिकायतकर्ता को लौटाने के भी निर्देश दिए हैं।

मैगी के ही खुदरा व्यापारी शिकायतकर्ता ने बताया कि नवंबर 2017 में जीएसटी की दर 18% से घटकर 12% हो जाने के बाद भी  35 ग्राम के मैगी के पैकेट पर मूल कीमत को बढ़ाकर इतना कर दिया गया कि उसका दाम पहले जैसा ही बना रहे। हालांकि उसने यह भी बताया कि 5 रूपये एमआरपी वाले मैगी के पैकेट पर होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए 12 रूपये एमआरपी वाले (70 ग्राम) के पैकेट के दाम घटाने की बात की गई। 

एनएए ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि करों में आई कमी का लाभ उत्पाद की हर इकाई पर दिया जाना चाहिए। वितरक इस बात का निर्णय नहीं ले सकता कि वह एक साइज़ के पैकेट को कम और दूसरे साइज़ के पैकेट को अधिक कीमत पर बेचेगा। यह भी स्पष्ट किया गया कि 35 ग्राम का पैकेट 70 ग्राम के पैकेट से अलग है और इसे खरीदना वाले लोग भी अलग-अलग हो सकते हैं और इस तरह एक उत्पाद पर उपभोक्ता को दिए जाने वाले लाभ में भेद नहीं किया जा सकता। 

पीडब्ल्यूसी इंडिया के प्रत्यक्ष कर के पार्टनर और लीडर प्रतीक जैन ने बताया, ‘’एक अन्य निर्देश द्वारा यह स्पष्ट है कि जीएसटी की दर में होने वाली कटौती की वजह से होने वाले लाभ को इकाई स्तर तक वितरित करना होगा। इसे उत्पाद स्तर या समग्र स्तर पर नहीं किया जा सकता।‘’

 
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